राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर नकल हुई थी और पेपर लीक में आरपीएससी सदस्यों की भूमिका भी सामने आई थी। ऐसे में इस भर्ती को जारी नहीं रखा जा सकता। साथ ही, हाईकोर्ट ने एसआई भर्ती 2021 के 897 पदों को नई भर्ती 2025 में जोड़ने का आदेश दिया है। ऐसे में अब 1912 पदों पर नई सब इंस्पेक्टर भर्ती आयोजित की जाएगी। आइए अब जानते हैं कि राजस्थान के सबसे बड़े पेपर लीक घोटाले का खुलासा कैसे हुआ और पेपर कैसे लीक हुआ?
क्या है एसआई पेपर लीक घोटाला?
बता दें कि आरपीएससी ने सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर के कुल 859 पदों के लिए 13, 14 और 15 सितंबर 2021 को परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में कई डमी उम्मीदवारों के शामिल होने की खबरें आई थीं। परीक्षा से पहले पेपर लीक होने की बात भी सामने आई थी। वर्ष 2023 में राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद, पेपर लीक की जाँच के लिए एसआईटी की घोषणा की गई। इसके बाद, मार्च 2024 से एसआई पेपर लीक मामले में गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हुआ। 5 मार्च को पहली बार एसओजी ने नागौर डीएसपी के बेटे समेत 15 एसएचओ को गिरफ्तार किया है। एसओजी की जाँच में पता चला है कि मास्टरमाइंड जगदीश विश्नोई ने बेरोजगार युवाओं को लाखों रुपये में पेपर बेचा था।
एसआई पेपर लीक मामला: तथ्य फ़ाइल
13, 14 और 15 सितंबर 2021 को 859 पदों के लिए भर्ती हुई थी।
859 उम्मीदवारों का प्रशिक्षण के लिए चयन किया गया था।
अब तक 122 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
गिफ्तार आरोपियों में 54 प्रशिक्षु एसएचओ शामिल हैं, जिनमें से 45 को बर्खास्त किया जा चुका है।
इसके अलावा, गिरफ्तार आरोपियों में लीक गिरोह के सदस्य, प्रशिक्षु एसएचओ के परिवार के सदस्य और डमी उम्मीदवार भी शामिल हैं।
नवंबर 2024 में 25 प्रशिक्षु एसआई को ज़मानत मिल गई है।
200 से ज़्यादा प्रशिक्षु एसएचओ अभी भी एसओजी की रडार पर हैं।
18 नवंबर 2024 को प्रशिक्षण ले रहे सब-इंस्पेक्टरों की पासिंग आउट परेड और नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी।
जगदीश बिश्नोई गिरोह ने इसी राज्य में लीक किया था पेपर
एसआई भर्ती परीक्षा 2021 का पेपर हसनपुरा के शांति नगर स्थित सविन्दर बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल से लीक हुआ था। जगदीश बिश्नोई ने केंद्र अधीक्षक राजेश खंडेलवाल को दस लाख रुपए देकर यूनिक भांभू को बतौर निरीक्षक स्कूल में प्रवेश दिलाया था। यूनिक को पेपर के स्ट्रॉन्ग फॉर्म में प्रवेश दिलाने के बाद, राजियासर श्रीगंगानगर निवासी शिवरतन मोट को अपनी पहचान बताकर बाहर खड़ा कर दिया था।
पेपर चुराने के बाद यूनिक ने इसे व्हाट्सएप पर जगदीश को भेजा था। इसके बाद जगदीश ने पेपर अशोक सिंह नाथावत को देकर हर्षवर्धन को सॉल्व करवाने के लिए भेजा था। इस बीच, अशोक ने हल किए गए पेपर शेर सिंह को 15 लाख रुपये में भेज दिए। वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के आरोपी अनिल कुमार मीणा उर्फ शेर सिंह ने अपने आकाओं गोविंदगढ़ निवासी कमलेश मीणा और श्रीमाधोपुर निवासी अरुण शर्मा के ज़रिए दर्जनों अभ्यर्थियों को पेपर पढ़वाया। शेर सिंह ने पेपर भूपेंद्र सारण को 50 लाख रुपये में बेचा। उसे 25 लाख रुपये भी मिले।
सरन ने इन लोगों को पेपर बेच दिया
भूपेन्द्र सारण और सुरेश ढाका ने अपने संचालकों कोलायत निवासी सुनील, आकोली सांचौर निवासी महेंद्र, हेमागुड़ा सांचौर निवासी सुनील भादू, कमलेश ढाका (सुरेश ढाका का भाई), हेमागुड़ा निवासी सुरेश साव (सुरेश ढाका का साला), बिधानी सांचौर निवासी दिनेश सारण (सुरेश ढाका के मामा का लड़का) आदि के माध्यम से कई लोगों को यह पेपर पढ़वाया।
इनमें सिवारा सांचौर निवासी अभय सिंह, भीनमाल निवासी मनोहर लाल, सेडिया सांचौर निवासी मनोहर सिंह, सांचौर निवासी भगवती विश्नोई शामिल थे। दावल सांचौर निवासी प्रवीण बिश्नोई चयनित होने के बाद भी ज्वाइन करने नहीं आए। करावली सांचौर निवासी गणपतलाल विश्नोई और उनके एक मित्र को भी पेपर पढ़ाया गया। इस प्रकार जगदीश बिश्नोई, अद्वितीय भांभू उर्फ पंकज चौधरी, शिवरतन मोट, राजेश खंडेलवाल, हर्षवर्द्धन, अशोक सिंह नाथावत, राजेंद्र यादव उर्फ राजू, रिंकू शर्मा, स्वरूप मीना ने कई लोगों को पेपर पढ़ाया।
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