राजस्थान में निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने की तैयारी कर ली गई है। यूनिफॉर्म, फीस, पाठ्यपुस्तकों और स्टेशनरी को लेकर अभिभावकों की ओर से लगातार मिल रही शिकायतों के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। अब शिक्षा अधिकारी बिना किसी शिकायत के स्कूलों का औचक निरीक्षण करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि स्कूल प्रबंधन अभिभावकों पर अनावश्यक दबाव तो नहीं बना रहा है।
इस संबंध में शासन उप सचिव (शिक्षा ग्रुप 5) राजेश दत्त माथुर की ओर से प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशकों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। सभी अधिकारियों को 21 अप्रैल को होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में निरीक्षण से संबंधित पूरी रिपोर्ट के साथ उपस्थित होने को कहा गया है। साथ ही यह भी पूछा गया है कि अब तक कितने निजी स्कूलों का निरीक्षण किया गया, उनमें क्या कमियां पाई गईं और उनके समाधान के लिए क्या कार्रवाई की गई।
विभाग का यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर अभिभावकों में लंबे समय से असंतोष था। कई स्कूल यूनिफॉर्म और किताबें एक ही जगह से खरीदने का दबाव बनाते हैं, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। इसके अलावा समय-समय पर मनमानी ट्यूशन फीस को लेकर भी शिकायतें सामने आती रही हैं।
अभी तक विभागीय अधिकारी शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई करते थे, लेकिन अब नियमित निरीक्षण के आदेश से यह व्यवस्था और अधिक पारदर्शी और अभिभावक हितैषी हो सकेगी। उम्मीद है कि इस पहल से निजी स्कूलों की अनियमितताओं पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित हो सकेगा।
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